INS Arighaat: भारत की सबसे घातक परमाणु पनडुब्बी की पूरी जानकारी हिंदी में

भारत की सामरिक शक्ति को समुद्री मोर्चे पर और अधिक मजबूती देने के लिए भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS Arighaat को विकसित किया गया है। यह पनडुब्बी भारतीय न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) का एक अहम हिस्सा है, जो दुश्मन के खिलाफ समुद्र से परमाणु जवाब देने की क्षमता देती है।

INS Arighaat Submarine Side View

INS Arighaat Submarine का साइड व्यू (सांकेतिक चित्र)

INS Arighaat क्या है?

INS Arighaat, भारत की Arihant-class SSBN (Ship Submersible Ballistic Nuclear) श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है। यह पनडुब्बी भारत में ही बनी है और इसका निर्माण विशाखापत्तनम स्थित Ship Building Centre (SBC) में किया गया है। इसे 2017 में लॉन्च किया गया था, और 2025 के अंत तक इसे भारतीय नौसेना में सेवा में शामिल किए जाने की संभावना है।

इसकी प्रमुख विशेषताएं

नीचे दी गई तालिका में INS Arighaat की प्रमुख तकनीकी विशेषताओं को दर्शाया गया है:

विशेषताविवरण
वर्ग (Class)Arihant-class SSBN
निर्माण स्थलShip Building Centre, विशाखापत्तनम
लंबाईलगभग 111 मीटर
विस्थापनलगभग 6,000 टन
चाल (Propulsion)परमाणु ऊर्जा (83 MW Pressurized Water Reactor)
हथियारK-15 (750 किमी) और K-4 (3,500 किमी) मिसाइलें
गति24 नॉट्स (पानी के नीचे)
क्रूलगभग 90 सदस्य

INS Arighaat की ताकत

  • परमाणु शक्ति से संचालित: INS Arighaat में Nuclear Propulsion सिस्टम है, जिससे यह पनडुब्बी महीनों तक बिना सतह पर आए समुद्र में तैनात रह सकती है।
  • बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता: इसमें भारत द्वारा विकसित की गई K-15 और K-4 मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता है। इससे यह पनडुब्बी दुश्मन के गहरे इलाकों तक परमाणु हमला कर सकती है।
  • स्टील्थ फीचर: इसे खास डिज़ाइन से बनाया गया है जिससे इसकी आवाज़ बहुत कम होती है और यह दुश्मन की निगरानी से बच सकती है।

भारत की सुरक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए केवल समुद्री ताकत ही नहीं, बल्कि Anti-Drone Defence भी जरूरी है। इसी दिशा में भारत ने Bhargavastra Missile System जैसा घातक स्वदेशी सिस्टम भी विकसित किया है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं:

👉 Bhargavastra Missile System – भारत का स्वदेशी Anti Drone Missile System

भारत की न्यूक्लियर ट्रायड में INS Arighaat की भूमिका

भारत की न्यूक्लियर ट्रायड – यानी जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता – में INS Arighaat एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह दुश्मन के पहले परमाणु हमले के बाद जवाबी हमला करने में सक्षम है, जिसे “Second Strike Capability” कहा जाता है। इससे भारत की परमाणु नीतिNo First Use” और न्यूनतम प्रतिरोध शक्ति (Minimum Credible Deterrence) को मजबूती मिलती है।

निर्माण और विकास

INS Arighaat का निर्माण भारत सरकार की सामरिक परियोजना के अंतर्गत Ship Building Centre (SBC), विशाखापत्तनम में किया गया। इसे Arihant-class श्रृंखला की दूसरी पनडुब्बी के रूप में डिजाइन किया गया। पनडुब्बी को 2017 में लॉन्च किया गया था और इसके बाद इसमें कई तकनीकी परीक्षण और सुधार किए गए। लगभग 6–7 वर्षों की sea trials के बाद इसे 2024–2025 के बीच कमीशन करने की योजना बनाई गई।

  • इसका डिज़ाइन INS Arihant से प्रेरित है, लेकिन इसमें कई तकनीकी सुधार किए गए हैं।
  • बेहतर Sonar Systems और sensors के साथ enhanced detection क्षमता।
  • उच्चतम Stealth (चुपके) क्षमता, जिससे यह दुश्मन की निगरानी से बच सकती है।
  • K-4 बैलिस्टिक मिसाइल जैसी लंबी रेंज की परमाणु मिसाइलों की तैनाती की व्यवस्था।

वर्तमान स्थिति

INS Arighaat को 2017 में लॉन्च किया गया था और इसके बाद 2020 से 2024 के बीच व्यापक Sea Trials किए गए। इन परीक्षणों में पनडुब्बी के सभी प्रमुख सिस्टम्स और हथियार क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया। 2025 में इसके आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल होने की संभावना है।

इसका निर्माण भारत के प्रमुख रक्षा संस्थानों — DRDO, BARC और भारतीय नौसेना — के संयुक्त सहयोग से किया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, INS Arighaat की सभी प्रमुख समुद्री परीक्षण सफल रहे हैं और इसे जल्द ही भारतीय समुद्री सुरक्षा प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बना दिया जाएगा।

INS Arighaat और चीन की सबसे एडवांस पनडुब्बी Type 94A Jin-class की तुलना

चीन की Type 094A Jin-class पनडुब्बी को उसकी सबसे एडवांस nuclear ballistic missile submarine माना जाता है, जो Indo-Pacific क्षेत्र में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर रही है। भारत की INS Arighaat इसका स्वदेशी जवाब है, जो stealth क्षमता और DRDO तकनीक से लैस है। नीचे दोनों पनडुब्बियों की तुलना की गई है:

विशेषता INS Arighaat Type 094A (Jin-class)
परियोजना नाम Arihant-class SSBN Jin-class SSBN (094A variant)
सेवा में स्थिति Sea Trials (2024–2025) सक्रिय (2021 से)
लंबाई ~111 मीटर ~135 मीटर
विस्थापन ~6,000 टन ~11,000 टन
प्रणोदन (Propulsion) Nuclear – PWR (83 MW) Nuclear – PWR (unknown rating)
गति (डुबकी में) ~24 knots ~25 knots
हथियार K-15 (750 किमी), K-4 (3,500 किमी) JL-2 (7,200 किमी)
VLS Cells 4–8 12
चुपकेपन (Stealth) बेहतर noise reduction Moderate (काफी noisy बताई गई)
सोनार/सेंसर Indigenous sonar + DRDO tech H/SQG-207 sonar (Chinese origin)
टारगेट रेंज पूरे दक्षिण एशिया US West Coast तक पहुँचने की क्षमता

यह तुलना दर्शाती है कि भले ही Type 094A विस्थापन और मिसाइल रेंज में बड़ी हो, लेकिन INS Arighaat स्वदेशी तकनीक, बेहतर stealth और आधुनिक DRDO sonar प्रणाली के साथ भारत की समुद्री रणनीति में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभर रही है।

INS Arighaat से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

Q1: INS Arighaat किस प्रकार की पनडुब्बी है?

A1: INS Arighaat एक परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, जो Arihant-class श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है।

Q2: INS Arighaat की लॉन्चिंग और कमीशनिंग कब हुई?

A2: इसे 2017 में लॉन्च किया गया था और 2025 में भारतीय नौसेना में शामिल होने की संभावना है।

Q3: इसमें कौन-कौन सी मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं?

A3: इसमें K-15 (750 किमी) और K-4 (3,500 किमी) बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं।

Q4: क्या INS Arighaat पूरी तरह से भारत में बनी है?

A4: हाँ, यह लगभग 60–70% स्वदेशी तकनीक से बनी है और DRDO, BARC, तथा भारतीय नौसेना द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है।

Q5: INS Arighaat की रणनीतिक भूमिका क्या है?

A5: यह भारत की “No First Use” परमाणु नीति के तहत समुद्र से जवाबी हमला करने की क्षमता (Second Strike Capability) प्रदान करती है।

निष्कर्ष

INS Arighaat न केवल भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को नई ऊँचाइयों तक ले जाता है, बल्कि यह स्वदेशी तकनीक, परमाणु शक्ति, और रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है। Arihant-class की यह पनडुब्बी भारतीय न्यूक्लियर ट्रायड में एक मजबूत कड़ी है, जो शांति की नीति को कायम रखते हुए जवाबी हमले की पूरी ताकत रखती है।

आने वाले वर्षों में INS Arighaat भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में और अधिक मजबूती से स्थापित करेगा जिनके पास sea-based nuclear deterrent की पूर्ण क्षमता है। यह आत्मनिर्भर भारत और सुरक्षित भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

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